Tuesday 14 January 2014

आखिर मेरा घर कौन सा है ??



एक लड़की थी बहुत भोली भाली और खूबसूरत सी। रोमा था उसका नाम। उसे सफ़ेद फूल के गजरे बहुत प्रिय थे। एक दिन जब वह खाना पकाने मे अपनी माँ का हाथ बटा रही थी तब रसोई घर की खिड़की से एक आवाज़ आई, '' गजरे ले लो गजरे। प्यारे प्यारे खूबसूरत गजरे। ताज़े असली फूलो के सस्ते गजरे। '' ये सुन कर रोमा की खुशी का ठिकाना न रहा और उसने अपनी माँ से गजरा खरीदने को कहा। तब उसकी माँ ने कहा, '' ये सब तू जब अपने घर जाएगी तब खरीदना। '' यह जवाब सुन कर रोमा का मन बहुत दुखी हुआ। पर उसने माँ से ज्यादा ज़िद न की।
आखिर कुछ समय पशचात वो दिन आ ही गया जब रोमा का विवाह हो चला एक मध्यम वर्गीय परिवार मे। एक दिन बाज़ार मे रोमा ने अपनी सास से कहा, ''माजी मुझे गजरे लेने है। '' तब उसकी सास ने जवाब दिया, ''ये सब तू अपने घर मे करती होगी। यहाँ ये सब नहीं चलेगा। '' और अपनी सास का ये जवाब सुन के रोमा को बहुत दुख हुआ।
तब रोमा के मन मे ये प्रश्न्न आया , आखिर मेरा घर कौन सा है??

क्या आप लोग इस प्रश्न्न का जवाब दे सकते है की एक लड़की का असली घर कौन सा होता है?? अधिकतर लड़कियों के साथ तो ऐसा होता है की अगर पति की मृत्यु हो जाए तो ससुराल वाले उसे घर से निकाल देते है, उससे सारे रिश्ते नाते तोड़ लेते है। अगर वह लड़की मायके आके रहती है तो समाज उसका मज़ाक उड़ाता है। उसपर लांछन लगता है। मैं ये पूछती हूँ की बेचारी लड़कियों का आखिर कसूर क्या है? उनके साथ ऐसा क्यों होता है?